Aagre Ki Chat – #2

“आगरे की छत पे समां कुछ यूं था”

छतों पर बहुत कुछ होता है,
देश भर के शहरों की छतों से अपना अनुभव कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत करूँगा, हो सकता है ऐसा ही कुछ अनुभव आपका भी हो हमें ज़रूर बताइयेगा। ढ़ेर सारा प्यार।

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