हम क्यूँ हैं इस दुनिया में. ऐसा क्या कर लिया है हमने इंसान बनके.
जितना भी development किया है अपने लिए ही किया है.
ठंड लगी तो आग जलानी सीख ली, अपने लिए…
भूख लगी तो जानवर मारके खा लिया, अपने लिए,
थक लगी तो पहिया बना लिया, अपने लिए.
समंदर पे तैर के थक गया, तो नाव बना ली, अपने लिए.
दूर जाने के लिए ट्रेन बनायी, ट्रेन चलाने के लिए कोयला खोद के निकाला, अपने लिए.
ज़मीन पे घूमने के लिए गाड़ियाँ बनायी, और उसके लिए पेट्रोल भी सूंघ के निकाल लिया धरती से,
वो भी सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए.
फिर आसमान में पंछियों को अकेले उड़ते देख इंसान के मन में जलन हुयी,
फिर उसने बनाया उड़ने वाला जहाज़ –‘अपने लिए’.
फ़ैक्ट्रीज़ बनायी, जंगल काटके – अपने लिए
समंदर के जानवरों के घर उजाड़े, क्यूँकि समंदर भरके घर बनाने थे- अपने लिए.
हम इंसानों को एक साथ तुरंत मर जाना चाहिए, क्यूँकि हमारी तो इस पृथ्वी में ज़रूरत ही नहीं है.
आपको पता है????
इंसान की वजह से अभी 10 लाख species extinct होने की कगार पे हैं.
हम ख़ुद को इस पृथ्वी का राजा समझते हैं, लेकिन हमारी हरकतें चोरों की हैं, हम चुराते हैं, mother nature से उनके बच्चे चुराते हैं- अपने लिए.
कभी मुनाफ़े के लिए, कभी मज़े के लिए, कभी स्वाद के लिए.
हम इंसान मर क्यूँ नहीं जाते.
हम दुनिया भर के लैंड्ज़ का 75% इस्तेमाल करते हैं सिर्फ़ अपने खाने के लिए,
जी हाँ! या तो उसमें crops उगाते हैं या cattles.
और अपने इस विस्तार की वजह से हमने land degradation तो किया ही है, साथ ही
biodiversity degrade की है.
आपको पता है???
Species exctinction का rate 1000 से 10000 times फ़ास्ट हो रहा है. और तो और
scientist मन रहे हैं हम 6th mass extinction के कगार पे हैं…
चलो ये अच्छी खबर है की हम इंसान अब कभी भी ख़तम हो सकते हैं. शुक्र है…
क्यूँकि हम कुछ नहीं करते यहाँ,
ज़रूरत से ज़्यादा खाते हैं, ज़रूरत से ज़्यादा ऐश करते हैं, ज़रूरत से ज़्यादा बोलते हैं(जैसे मैं बोल
रहा हूँ), ज़रूरत से ज़्यादा ख़ुद को importance देते हैं, हर काम ज़रूरत से ज़्यादा करते हैं.
क्यूँकि हम लालची भी हैं.
आपको पता है???
आज अगर worms ग़ायब हो जाएँ, तो बारह से अट्ठारह महीने में धरती से सभी life ख़तम हो
जाएँगी…आज insects मर जाएँ, तो ढाई से चार साल लगेंगे दुनिया से लाइफ़ ख़तम होने में…
लेकिन अगर आज हम सभी इंसान मर जाएँ, तो ये planet फलेगा-फूलेगा, mother nature अपने
तरीक़े से ख़ुद को express करेगी, उसके जंगल में रहने वाले बच्चे, जो अपनी इस माँ का
ख़्याल रखते हैं, इतने खुश होंगे जितना वो कभी नहीं थे.
क्यूँकि तब हम इंसान नहीं होंगे किसी बेज़ुबान जानवर को फल के अंदर बम खिलाने के लिए.
क्या आपके मन में ये सवाल नहीं उठता – “हम इंसान मर क्यूँ नहीं जाते”