हर धड़कन की ध्वनि अलग है,
क़दमों का मनोबल प्रबल है,
है तरंगित रोम रोम,
एकाग्रचित हर दृष्टि है,
मन आनंदित है, प्रफुल्लित है…
बिखरे भाव समेट रहा हूँ,
द्वन्द का दामन छोड़ रहा हूँ,
सभी सवाल पस्त पड़े हैं
जवाब सभी स्वस्थ खड़े हैं
मन आनंदित है, प्रफुल्लित है…
हर साथ का महत्त्व है,
हर बात का भी सत्व है..
बेमतलब का साथ नहीं
अब बेतुका संवाद नहीं,
हर सांस का अपना जीवन है
मन आनंदित है, प्रफुल्लित है…
अब उन्मुक्त गगन का पंछी हूँ,
सीमाओं का मोहताज नहीं,
शिखरों से अब नज़र लड़ी है
शहंशाह मैं बेताज सही,
मन आनंदित है, प्रफुल्लित है…