“आगरे की छत पे समां कुछ यूं था” छतों पर बहुत कुछ होता है, देश भर के शहरों की छतों से अपना अनुभव कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत करूँगा, हो सकता है ऐसा ही कुछ अनुभव आपका…
छतों पर बहुत कुछ होता है, देश भर के शहरों की छतों से अपना अनुभव कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत करूँगा, हो सकता है ऐसा ही कुछ अनुभव आपका भी हो हमें ज़रूर बताइयेगा। ढ़ेर सारा प्यार।
चलो सुनें उस आवाज़ को, जिसे नहीं सुना अब तक, चलो वो एहसास लें, जो नहीं लिया अब तक,
हर धड़कन की ध्वनि अलग है, क़दमों का मनोबल प्रबल है, है तरंगित रोम रोम, एकाग्रचित हर दृष्टि है, मन आनंदित है, प्रफुल्लित है…